राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 77वी पुण्यतिथि के अवसर पर मोहला ब्लाक के क्षेत्र मरारटोला के कवि व साहित्यकार जितेंद्र पटेल ने कहा कि गाँधी कोई विचार नहीं बल्कि आचरण हैं


जिला मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के 77वी पुण्यतिथि के अवसर पर
मोहला ब्लाक के क्षेत्र मरारटोला के
कवि व साहित्यकार जितेंद्र पटेल ने कहा कि गाँधी कोई विचार नहीं बल्कि आचरण हैं। विचार का होना और विचार का आचरण में होना दोनों अलग अलग स्थिति हैं। विचार का जन्म लेना बौद्धिकता हैं पर गाँधी का मूल्यांकन तो आचरण से विचार का प्रामाणिक होना है।
हमने गाँधी को उद्धरण, कोटेशन, किताबों और संस्थानों के माध्यम से समझने का प्रयास किया जो कठिन है।
गाँधी ने 1930 में कहा था की स्वराज की लड़ाई के बाद अगर मै जिन्दा रहा तो अंग्रेजो के साथ जिस तरह लड़ाईयाँ लड़नी पड़ी वैसे हीं अनेक अहिंसक लड़ाईयाँ आजादी के बाद भी लड़नी पड़ेगी। गाँधी को इस बात का एहसास था की आजादी की लड़ाई किस दिशा में जा रही है। वें कहते थे जिस देश में समाजिक पराधीनता बनी रहें और राजनैतिक आजादी मिले, वह देश राजनैतिक अपराधियों और व्यापारियों का एक मुनाफाखोरी का माध्यम बन जाता है। गाँधी समझते थे की राजनैतिक आजादी से आगे समाजिक, आर्थिक समानता व महिलाओं की पूर्ण भागीदारी हीं सच्ची आजादी हैं।
गाँधी कि आजादी की लड़ाई की बुनियादी विचार एक ऐसे मुल्क कि है,जो अपनी परम्पराओं, स्मृतियों, इतिहास का अंधानुकरण नहीं करता बल्कि उनका आलोचनात्मक मूल्यांकन करता है और पुनर्गठन करता हैं।
गाँधी आज भी उतने हीं प्रासंगिक हैं जितने आजादी के दौर में थे।
मुझे याद आता है…
उदय प्रकाश की बहुत चर्चित कविता है-
आदमी मरने के वक़्त कुछ नहीं सोचता।
आदमी मरने के बाद कुछ नहीं बोलता
और कुछ न सोचने और कुछ न बोलने पर आदमी मर जाता है।
कुछ नहीं सोचना और कुछ नहीं बोलना आदमी के मृत्यु का लक्षण है।
ठीक उसी तरह किसी समाज का कुछ न सोचना कुछ न बोलना अर्थात विद्रोह न करना समाज के मृत्यु के लक्षण होते है।गाँधी कि कल्पना ऐसे भारत क़ी है जहाँ राजनैतिक आजादी के अलवा समाजिक, आर्थिक, शैक्षिक अवसर तथा न्यायिक समानता हो
गाँधी का व्यवस्थित आचरण हीं उनका चिंतन है।
गाँधी क़ी सर्वोच्च शहादत को नमन