थाना चिल्हाटी प्रभारी बृजेश सिन्हा और पुलिस स्टॉप के द्वारा नवरात्रि में भंडारा एवं नव कन्या भोजन का आयोजन किया गया

जिला मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी के

थाना चिल्हाटी पुलिस स्टॉप के द्वारा नवरात्रि में भंडारा एवं नव कन्या भोजन का आयोजन किया गया

 

थाना चिल्हाटी निरीक्षक बृजेश सिन्हा ने कहा की

 

नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन कन्या भोजन का विधान ग्रंथों में बताया गया है. इसके पीछे भी शास्त्रों में वर्णित तथ्य यही हैं कि 2 से 10 साल तक उम्र की नौ कन्याओं को भोजन कराने से हर तरह के दोष खत्म होते हैं. कन्याओं को भोजन करवाने से पहले देवी को नैवेद्य लगाएं और भेंट करने वाली चीजें भी पहले देवी को चढ़ाएं.

 

पूड़ी – मां दुर्गा के भोग में पूड़ी अनिवार्य रूप से शामिल होती है इसलिए कन्या भोजन में पूड़ी अनिवार्य है। एक पूड़ी अथवा पूड़ी का एक टुकड़ा ही काफी है लेकिन कन्या भोज में पूड़ी को शामिल करें। हलवा – मां दुर्गा के भोग में हलवा भी अनिवार्य रूप से शामिल होता है। इसलिए हलवा को कन्या भोजन में भी शामिल किया जाता है।

 

नवरात्रि के दौरान भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए कन्या पूजन करते हैं। माता की पूजा में कन्या पूजन के महत्व, और इससे जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे

 

 

चैत्र नवरात्रि हो या शारदीय दोनों में ही कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्रि के दौरान, व्रत रखने वाले भक्त अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं और कन्याओं को भोजन करवाते हैं। कन्या पूजन की ये परंपरा सदियों से चली आ रही है, लेकिन इसकी शुरुआत कैसे हुई और कन्या पूजन का महत्व क्या है, इसके बारे में आइए विस्तार से जानते हैं।

 

नवरात्रि कन्या पूजन 2024

साल 2024 में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 9 अप्रैल से हुई थी और चैत्र नवरात्रि का समापन 17 अप्रैल को होगा। यानि 16 अप्रैल को अष्टमी तिथि होगी और 17 अप्रैल को नवमी तिथि। भारत के अलग-अलग राज्यों में कन्या पूजन की तिथि भी अलग-अलग है, कुछ भक्त अष्टमी तो कुछ नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं

नवरात्रि कन्या पूजन से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार, इंद्र देव ने ब्रह्मा जी के कहने पर कन्या पूजन किया था। दरअसल, इंद्रदेव देवी मां को प्रसन्न करना चाहते थे। अपनी इच्छा को लेकर इंद्रदेव ब्रह्मा जी के पास पहुंचे और उन्हें माता दुर्गा को प्रसन्न करने का उपाय पूछा। ब्रह्मा जी ने इंद्रदेव से कहा कि, देवी माता को प्रसन्न करने के लिए आपको कन्याओं का पूजन करना चाहिए और उन्हें भोजन कराना चाहिए। ब्रहाा जी की सलाह के बाद इंद्रदेव ने माता की विधि-विधान से पूजा करने के बाद कुंवारी कन्याओं का पूजन किया और उन्हें भोजन करवाया। इंद्रदेव के सेवा भाव को देखकर माता प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद दिया। ऐसा माना जाता है कि, तभी से कन्या पूजन की परंपरा शुरू हुई।

 

कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। पूजन में 9 कन्याओं को ही बुलाने की परंपरा है जिन्हें माता दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक माना जाता है, इसके साथ ही एक बटुक भी कन्याओं के साथ होना चाहिए जो भैरव का रूप माना जाता है। जो भी भक्त विधि-विधान से माता की पूजा आराधना करते हैं और कुमारी कन्याओं का पूजन करते हैं उन्हें माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कन्या पूजन करने से माता की कृपा आप पर बनी रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि रहती है। ऐसा करना आपके धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान को भी बढ़ाता है। आइए अब जानते हैं कि कन्या पूजन के दौरान किन बातों का आपको ख्याल रखना चाहिए।

 

ऐसे करें कन्या पूजन

कन्या पूजन के दौरान आपको 10 साल से अधिक की कन्याओं को नहीं बुलाना चाहिए। कन्याओं को भोजन करवाने से पहले उनके पैर धोएं, इसके बाद उन्हें स्वच्छ स्थान पर बैठाएं। कन्याओं के पूजन से पहले आपको माता रानी को भोग लगा लेना चाहिए। कन्या पूजन के बाद कन्याओं को हलवा, पूरी और चने खिलाने चाहिए। इसके बाद कन्याओं के हाथ धुलवाकर आपको उन्हें आसन पर बिठाना चाहिए और उन्हें दक्षिणा देनी चाहिए।

 

इस कार्यक्रम में उपस्थित थाना प्रभारी निरीक्षक बृजेश सिन्हा थाना स्टॉप तथा   ग्रामीण और भक्तजन उपस्थित थे

 

 

थाना  चिल्हाटी निरीक्षक बृजेश सिन्हा एवं थाना स्टाफ ने नवरात्रि के अवसर पर जिलेवाशियो और अपनी थाना क्षेत्र वासियों के लिए माता रानी से सुख शांति की कामना की

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