हास्टल अधीक्षक प्रेम नेताम ने गर्मी में बचने एवं गर्मी के हानिकारक प्रभाव बताया


जिला मोहला मानपुर अंबागढ़ चौकी के मोहला ब्लाक के क्षेत्र कोर्मटोला के हॉस्टल अधीक्षक प्रेम नेताम गर्मी से बचने और हानिकारक प्रभाव बताया
लू और गर्मी से होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है…
– तेज गर्म हवा में बाहर जाने से बचें। नंगे बदन और नंगे पैर धूप में न निकलें।
– घर से बाहर पूरी आस्तीन के और ढीले कपड़े पहनकर निकलें, ताकि उनमें हवा लगती रहे।
– ज्यादा टाइट और गहरे रंग के कपड़े न पहनें।
– सूती कपड़े पहनें। सिंथेटिक, नायलॉन और पॉलिएस्टर के कपड़े न पहनें।
– खाली पेट घर से बाहर न जाएं और ज्यादा देर भूखे रहने से बचें।
– धूप से बचने के लिए छाते का इस्तेमाल करें। इसके अलावा, सिर पर गीला या सादा कपड़ा रखकर चलें।
– चश्मा पहनकर बाहर जाएं। चेहरे को कपड़े से ढक लें।
– घर से पानी या कोई ठंडा शरबत पीकर निकलें, जैसे आम पना, शिकंजी, खस का शर्बत आदि। साथ में पानी की बोतल लेकर चलें।
– बहुत ज्यादा पसीना आया हो तो फौरन ठंडा पानी न पीएं। सादा पानी भी धीरे-धीरे करके पीएं।
– रोजाना नहाएं और शरीर को ठंडा रखें।
– घर को ठंडा रखने की कोशिश करें। खस के पर्दे, कूलर आदि का इस्तेमाल करें।
– बाजार में बिक रहे पहले से कटे हुए फल तो बिलकुल न खाएं
कैसे लग जाती है लू?
लू लगने पर शरीर का तापमान अचानक बहुत बढ़ जाता है। गर्मी की वजह से शरीर में पानी और नमक की ज्यादा कमी होने पर लू लगने की आशंका होती है। तेज धूप और गर्मी में नंगे बदन रहने वालों, बिना छाते या सिर को बिना ढके धूप में घूमने वालों, टीन से बने घरों में रहने वालों, तेज आग के सामने काम करने वालों, खेतों में काम करने वालों, खुली धूप में आने-जाने व काम करने वालों, लो इम्युनिटी वालों, शारीरिक रूप से कमजोर, बच्चों, बुजुर्गों, ज्यादा एक्सर्साइज करने वालों और कम पानी पीने वाले लोगों को अक्सर लू लग जाती है। जब शरीर का थर्मोस्टेट सिस्टम यानी शरीर का तापमान कंट्रोल करने वाला सिस्टम शरीर को ठंडा रखने में नाकाम हो जाता है तो शरीर में गर्मी भर जाती है और पानी किसी-न-किसी रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है। इससे शरीर की ठंडक कम हो जाती है और लू लग जाती है।
क्या होता है लू लगने पर?
– लू लगने पर शरीर में गर्मी, खुश्की और थकावट महसूस होने लगती है।
– मसल्स में खिंचाव लगता है, शरीर टूटने लगता है और प्यास बढ़ जाती है।
– कई बार बुखार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जैसे कि 105 या 106 डिग्री फॉरेनहाइट।
– ब्लड प्रेशर लो हो जाता है और लिवर-किडनी में सोडियम पोटैशियम का बैलेंस बिगड़ जाता है। ऐसे में बेहोशी भी आ सकती है।
– इसके अलावा ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती है। ठीक वक्त पर इलाज न कराया जाए तो मौत भी हो सकती है।
क्या होता है लू लगने पर?
– लू लगने पर शरीर में गर्मी, खुश्की और थकावट महसूस होने लगती है।
– मसल्स में खिंचाव लगता है, शरीर टूटने लगता है और प्यास बढ़ जाती है।
– कई बार बुखार बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जैसे कि 105 या 106 डिग्री फॉरेनहाइट।
– ब्लड प्रेशर लो हो जाता है और लिवर-किडनी में सोडियम पोटैशियम का बैलेंस बिगड़ जाता है। ऐसे में बेहोशी भी आ सकती है।
– इसके अलावा ब्रेन या हार्ट स्ट्रोक की स्थिति भी बन सकती है। ठीक वक्त पर इलाज न कराया जाए तो मौत भी हो सकती है।
क्या-क्या हैं लक्षण
बेहोशी आना, तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, उलटी आना, चक्कर आना, दस्त, सिरदर्द, शरीर टूटना, बार-बार मुंह सूखना और हाथ-पैरों में कमजोरी आना या निढाल होना लू लगने के लक्षण हैं। लू लगने पर काफी पसीना आ सकता है या एकदम पसीना आना बंद भी हो सकता है।
लू लगने पर क्या करें?
– सबसे पहले मरीज को ठंडी और छायादार जगह में बिठाएं, कपड़े ढीले कर दें, पानी पिलाएं और ठंडा कपड़ा उसके शरीर पर रखें।
– शरीर के तापमान को कम करने की कोशिश करें। लू लगने पर ऐसा करना सबसे जरूरी है।
– लगातार तरल पदार्थ देकर उसके शरीर में पानी की कमी न होने दें। नमक व चीनी मिला हुआ पानी, शर्बत आदि दें।
– उसके हाथ-पैरों की हल्के हाथों से मालिश करें। तेल न लगाएं।
– गुलाब जल में रुई भिगोकर आंखों पर रखें। फिर भी आराम न आए तो डॉक्टर के पास ले जाएं
लू लगने पर खानपान
बेल या दूसरी तरह के शर्बत और जौ का पानी दें। खिचड़ी दे सकते हैं। तलवों, हथेलियों व माथे पर चंदन का लेप और सिर पर मेहंदी लगाएं। बाहर का खाना न खाएं। घर में भी परांठा, पूड़ी-कचौड़ी आदि तला-भुना न खाएं। नींबू पानी और इलेक्ट्रॉल पीते रहें। शुगर के मरीज बिना चीनी का शर्बत और ठंडाई लें। आधा दूध और आधा पानी मिलाकर लस्सी पिएं
घरेलू नुस्खे आजमाएं
– सौंफ का रस 6 छोटे चम्मच, दो बूंद पुदीने का रस और दो चम्मच ग्लूकोज पाउडर करीब एक-एक घंटे बाद देते रहें।
– जटा वाले नारियल की गिरी को पीसकर दूध निकाल लें। उसे काले जीरे के साथ पीसकर शरीर पर पैक की तरह लगाएं।
– नीम का पंचांग लेकर उसके 10 ग्राम चूर्ण में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर एक-एक घंटे बाद पानी से दें।
– ताजे प्याज के रस को छाती पर मलने से भी लू का असर कम होता है।
– एक भुने प्याज और एक बिना भुने प्याज को साथ में महीन पीस लें। उसमें 2 ग्राम जीरे का चूर्ण और 20 ग्राम मिश्री मिलाकर मरीज को दिन में एक बार दें।
– गर्मियों में प्याज को जेब में रखने से लू नहीं लगती क्योंकि उसमें पानी की मात्रा बहुत होती है। पानी न मिलने पर उसे ही चूस लें।
– कच्चे आम को भूनकर, पानी में मसलकर, छानकर उसमें स्वादानुसार चीनी और जीरा मिलाकर रोज लेने से लू लगने का खतरा कम हो जाता है।
– पकी हुई इमली को ज्यादा पानी में घोलकर कपड़े से छान लें। उस कपड़े को मरीज के चेहरे पर ओढ़ा दें और उस पर थोड़ा-थोड़ा इमली का पानी छिड़कते रहें। बेहोशी दूर हो जाएगी। इस रस को मरीज के हाथ-पैरों और माथे पर भी मल देना चाहिए।
– आंवले का चूर्ण एक ग्राम, मीठा सोडा आधा ग्राम और तीन ग्राम मिश्री को सौंफ के रस के साथ मरीज को दें।
– पुदीने के करीब 30-40 पत्ते लेकर, दो ग्राम जीरा और दो लौंग को पीसकर आधे गिलास पानी में मिलाकर मरीज को हर चार घंटे बाद पिलाएं।
गर्मियों में स्किन का भी रखें ध्यान
गर्मियों में जहां अपने साथ आम, शरबत, तरबूज आदि की बहार लाती हैं, वहीं स्किन की समस्याएं भी लेकर आती हैं। रैशेज, घमौरियां, फुंसियां, सनबर्न आदि गर्मियों की कॉमन समस्याएं हैं। शरीर के वे हिस्से, जिन पर स्किन फोल्ड होती है, मसलन बगल, जांघ, पेट आदि में पसीना ज्यादा आता है और वहां रैशेज हो जाते हैं। जो लोग लगातार बैठे रहते हैं या घंटों बैठकर गाड़ी चलाते रहते हैं, उन्हें दिक्कतें ज्यादा आती हैं। गर्मियों की कॉमन स्किन प्रॉब्लम हैं:
रैशेज और घमौरियां
गमिर्यों में पसीना निकलने से स्किन में ज्यादा मॉश्चर रहता है, जिसमें कीटाणु (माइक्रोब्स) आसानी से पनपते हैं। इस दौरान ज्यादा काम करने से स्वेट ग्लैंड्स यानी पसीने की ग्रंथियां ब्लॉक हो जाती हैं। ऐसा होने पर पसीना स्किन की अंदरूनी परत के अंदर जमा रह जाता है। घमौरियां और रैशेज होने पर स्किन लाल पड़ जाती है और उसमें खुजली व जलन होती है। रैशेज से स्किन में दरारें-सी नजर आती हैं और स्किन सख्त हो जाती है, वहीं घमौरियों में लाल-लाल दाने निकल आते हैं। बाहर की स्किन की परत ब्लॉक होने पर दाने वाली घमौरियां निकलती हैं। ये आमतौर पर बच्चों में बुखार के दौरान निकलती हैं। इसके लिए किसी दवा की जरूरत नहीं होती।
क्या करें: खुले, हल्के और हवादार कपड़े पहनें। टाइट और ऐसे कपड़े न पहनें, जिनमें रंग निकलता हो। ध्यान रहे कि कपड़े धोते हुए उनमें साबुन न रहने पाए। ठंडे वातावरण यानी एसी और कूलर में रहें। घमौरियों वाले हिस्से की दिन में एकाध बार बर्फ से सिकाई कर सकते हैं और उन पर कैलेमाइनलोशन लगाएं। खुजली ज्यादा है तो डॉक्टर की सलाह पर खुजली की दवा ले सकते हैं।